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परछाई
तुम मेरी परछाई कभी न बनना
परछाई से मुझे नफरत है और ड़र भी I
यह कभी है तो कभी नहीं
कभी करीब तो कभी दूर I
जब अपना राक्षसी मूह खोले
सूरज सामने से चला आता है
हमे निगलने
परछाई छिप जाती है कहीं पीछे
और बिखर जाते हैं सारे सपने
साथ निभाने के
तुम मेरी परछाई कभी न बनना I
तपती धूप में जब हो सूरज सर पर
परछाई छिप जाती है कहीं
एक क्षण के लिए ढ़ह जाती है
सारे वादे
तुम मेरी परछाई कभी न बनना I
जब हो सूरज पीठ पीछे
अपने औजार लिए
एक और वार की तलाश में
परछाई भाग जाती है आगे
तुम मेरी परछाई कभी न बनना I
जब सूरज मायूस हो
अपने विफल कोशिश से
जा छिपता है किसी ओट में
करने को आखरी वार की तैयारी
एक बार फिर
अंधेरे में अकेले, असहाय और घायल
छोड़ जाती है परछाई
तुम मेरी परछाई कभी न बनना
परछाई से मुझे नफरत है और ड़र भी I
(थोमस मैथ्यूज)
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