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मेरा हर रिश्ता उस चबूतरे की तरह है
जहाँ से गाँव का हर कोना नज़र आता है I
जहाँ कभी दिवाली के दीये भी जलाया जाते है
और जहाँ नशेड़ियों का अड्डा भी जमता है I
मेरा हर रिश्ता
कभी गाँव की उस मासूम लड़की की तरह है
जिसको किसी से नज़र मिलाना भी पाप लगता है
तो कभी उस वेश्या की तरह भी है
जिसको कभी न बुझने वाली प्यास और वासना है I
मेरा हर रिश्ता
गाँव के उस दालान की तरह है
जहाँ पंचायत कभी न्याय-अन्याय का फैसला भी करती है
तो कभी वहाँ मासूमों की बली भी चढ़ायी जाती है I
मेरा हर रिश्ता
गाँव का वह चौराहा है
जहाँ सारे दिन तो हलचल होती है
लेकिन रात के वीराने में कुत्ता भी
उसका साथ छोड़ जाता है I
मेरा हर रिश्ता
उस दीवार की तरह है
जहाँ कभी तो समय दरक कर
अपने निशान छोड़ जाता है
तो कभी पर्व-त्योहार के बहाने
उसकी सफेदी भी कराई जाती है I
मेरा हर रिश्ता ...
(थोमस मैथ्यूज)
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